ख़्वाब टूट भी जाएँ पर हसरतें नहीं जातीं,
शाख़ों से जुदा होकर गुल बू नहीं छोड़ा करते।
दिल की ये मासूम नादानियाँ देखो तो ज़रा,
टूट जाते हैं मगर धड़कना नहीं छोड़ा करते।
काँटों से दोस्ती की गुलशन-ए-बहार में,
हम वो हैं जो फूलों से दिल नहीं जोड़ा करते।
वो न आएँगे मालूम है ऐ दिल-ए-मुज़्तर,
हम उम्मीद का दामन नहीं छोड़ा करते।